किसान भाइयों नमस्कार
आज हम बात करेंगे की ओस गिरने से फसल को होने वाले नुकसान से फसल को कैसे बचाएं।



मौसम में हो रहे परिवर्तनों के कारण जैसे जैसे सर्दी बढ़ रही है वैसे वैसे ओस की बूँदे भी फसलों पर गिरने लगी है।
ओस की इन बूंदों के कारण फसलों में कई प्रकार के रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
किसान भाइयों आपने देखा होगा कि इन दिनों में सुबह के समय अक्सर फसल पर बर्फ जैसी ओस जमी हुई दिखाई देती है।
ऐसे समय में फसलों पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है क्योंकि अधिक ओस गिरने के कारण फसल का प्राकृतिक हरा रंग समाप्त हो जाता हैं जिस कारण पत्तियां काली एंव भूरी पड़ जाती हैं और फसल की बढ़वार भी रुक जाती है।
कई बार इस रोग में फसल की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और धीरे धीरे पूरी फसल बर्बाद होने लगती है।
इसके निवारण के लिए जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
सरसों , गेहू, चावल, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में 0.1% गंधक के तेजाब का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है बल्कि पौधों में लौह तत्व एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है,जो पौधों में रोगरोधिता बढ़ाने में एवं फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती है।
अगर खेत पर पाला पड़ने की संभावना हो तो सिंचाई कर देनी चाहिए क्योंकि नमी बढ़ने पर पाले की संभावना कम हो जाती है।
खेत के उत्तर पश्चिम दिशा की ओर खेत में पड़ा कचरा- भूसा को जलाना चाहिए जिस कारण हवा गर्म होगी और पाले का प्रभाव कम हो जाएगा।
फलदार पौधों को ऊपर से पुरानी फसलों की टाट और घास फूस से ढक देना चाहिए।

किसान भाई आपके खेत के मेड के चारों ओर बड़े पेड़ लगे हुए होते हैं तो भी ठंडी हवा को रोकने में काफी अहम भूमिका निभाते हैं इसलिए पेड़ लगाना फायदेमंद होता है।

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